Diwali 2025 : दीपावली का इतिहास और महत्व

Diwali 2025

दीपावली क्या है?

Diwali 2025 : दीपावली, जिसे आमतौर पर दिवाली कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रिय त्योहार है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। “दीपावली” शब्द संस्कृत के “दीप” (दीया) और “आवली” (श्रृंखला) से बना है, जिसका अर्थ है – दीपों की पंक्ति।

इस दिन पूरा भारत और विश्वभर में बसे भारतीय अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंगीन लाइटों से सजाते हैं। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जो हर दिल में खुशी और उम्मीद का उजाला भर देता है।

दीपावली का पौराणिक इतिहास

दीपावली के इतिहास के कई रोचक पहलू हैं और यह अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग कथाओं से जुड़ी हुई है।

  1. रामायण से जुड़ी कथा

सबसे लोकप्रिय कथा यह है कि भगवान श्रीराम ने जब रावण का वध कर 14 वर्षों का वनवास पूरा किया और अयोध्या लौटे, तब पूरे नगर ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। उसी दिन से दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हुई।

  1. महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस

जैन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था। जैन अनुयायी इस दिन ज्ञान और अहिंसा के प्रकाश का उत्सव मनाते हैं।

  1. माँ लक्ष्मी का जन्म दिवस

कई पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था और यह दिन कार्तिक अमावस्या का था — इसलिए यह दिन माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

  1. सिख धर्म में बंधी छोड़ दिवस

सिख धर्म में दीपावली का दिन गुरु हरगोविंद साहिब जी के जेल से मुक्त होने की याद में “बंधी छोड़ दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

दीपावली का धार्मिक महत्व

दीपावली केवल एक त्योहार नहीं बल्कि श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन लक्ष्मी माँ घर-घर आती हैं और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीपक जलाते हैं और पूजा करते हैं ताकि उनके जीवन में सुख, धन और सकारात्मकता बनी रहे।

इसके अलावा, यह दिन नए व्यापार, खातों की शुरुआत (बहीखाता पूजन) और निवेश के लिए भी शुभ माना जाता है। व्यापारी वर्ग इसे “नववर्ष” की तरह मनाता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

दीपावली भारत के हर राज्य, हर धर्म और हर वर्ग को जोड़ने वाला त्योहार है। यह प्रेम, भाईचारे और सामूहिकता की भावना को मजबूत करता है।
लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर मिठाइयाँ, उपहार और शुभकामनाएँ लेकर जाते हैं। इससे समाज में अपनापन और सौहार्द बढ़ता है।

इसके अलावा, दीपावली से पहले घरों की सफाई और सजावट का चलन केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। यह “स्वच्छता अभियान” की एक पारंपरिक मिसाल है।

आर्थिक और व्यावसायिक महत्व

दीपावली का भारत की अर्थव्यवस्था से भी गहरा संबंध है। इस समय बाजारों में रौनक बढ़ जाती है — लोग नए कपड़े, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और घर तक खरीदते हैं।
छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारियों तक सभी को इस पर्व से लाभ होता है।
कह सकते हैं कि दीपावली न केवल घरों में रोशनी लाती है, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी नई ऊर्जा भर देती है।

आध्यात्मिक संदेश

दीपावली का मूल संदेश है —

“अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और सत्य का दीप जलाना।”

यह त्योहार हमें सिखाता है कि जैसे दीप अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही हमें अपने जीवन से नकारात्मकता, ईर्ष्या और लालच को दूर करना चाहिए।

जब हम अपने अंदर के अंधकार को खत्म कर देते हैं, तभी सच्ची दीपावली मनाई जाती है।

निष्कर्ष

दीपावली केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
यह त्योहार हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी बाहरी रोशनी से नहीं बल्कि भीतर की उजास से आती है।

हर बार जब हम दीया जलाते हैं, तो वह सिर्फ तेल और बाती से नहीं, बल्कि हमारे विश्वास और उम्मीद की लौ से जलता है।

इसलिए इस दीपावली, केवल घर को नहीं, अपने दिल को भी रोशनी से भरें — क्योंकि जब मन में प्रकाश होगा, तो जीवन भी जगमगाएगा।

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